जिंदगी की हकीकत सिर्फ इतनी होती हे,
जब जगता हे इन्सान तो किस्मत सोती हे,
अक्सर इन्सान अपना जिस पर सबसे जयादा समजता हे,
वो अमानत किसी और की होती हे,
हर रिश्ता अज़ीज़ लगता हे, हर अपना करीब लगता हे,
वो तो बस दो पल की तक़दीर होती हे,
जिसे चाहते हम खुद से ज्यादा,
वो एक लकीर की ही हाथो में कमी होती हे,
जिंदगी की हकीकत सिर्फ इतनी ही होती हे.
जब जगता हे इन्सान तो किस्मत सोती हे,
अक्सर इन्सान अपना जिस पर सबसे जयादा समजता हे,
वो अमानत किसी और की होती हे,
हर रिश्ता अज़ीज़ लगता हे, हर अपना करीब लगता हे,
वो तो बस दो पल की तक़दीर होती हे,
जिसे चाहते हम खुद से ज्यादा,
वो एक लकीर की ही हाथो में कमी होती हे,
जिंदगी की हकीकत सिर्फ इतनी ही होती हे.
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