Wednesday, September 30, 2015
जिस दिन मैंने दुनिया में, लॉग इन किया ...................
जिस दिन मैंने दुनिया में, लॉग इन किया !
सारा मोहल्ला खुशियों से रंगीन किया !!
:
स्कूल में मेरी, होती थी अक्सर पिटायी !
मैं 2G था, और मैडम थी Wi-Fi !!
:
उस पर मेरा, सॉफ्टवेयर बडा पुराना था !
ट्यूब लाईट था मैं, जब CFL का जमाना था !!
:
गणित में तो, मैं बचपन से ही फ़्लॉप था !
भेजे का पासवर्ड, बड़े दिनों तक लॉक था !!
:
जब जब स्कूल जाने में, मैं लेट हुआ !
प्रिंसपल की डाँट से, सॉफ़्टवेयर अपडेट हुआ !!
:
हाईस्कूल में, ईश्क का वायरस घुस बैठा !
भेजे में सुरक्षित, सारा डाटा ,समाप्त कर बैठा !!
:
नजरों से नजरें टकरायी, 10th क्लास में !
मैसेज आया, मेरे दिल के इनबॉक्स में !!
:
जब जब मैंने, आगे बढकर पोक किया !
धीरे से उसने, नजरें झुकाकर रोक लिया !!
:
कॉलेज में देखा किसी गैर के साथ, तो मन बैठा !
ईश्क का वायरस, एंटीवायरस बन बैठा !!
:
वो रियल थी, लेकिन फ़ेक आईडी सी लगने लगी !
बातों से अपनी, मेरे यारों को भी ठगने लगी !!
:
आयी वो वापस, दिल पे मेरे नॉक किया !
लेकिन फ़िर मैंने, खुद ही उसको ब्लॉक किया !!
:
मेरे जीवन में, अब प्यार के लिए स्पेस नहीं !
मैं 'मीत' हूँ पगली, मजनू का अवशेष नहीं !!
:
कॉलेज से निकला, दुनियादारी सीखने लगा !
बना मैं शायर, देशप्रेम पर लिखने लगा !!
:
डरता है दिल, जिंदगी मेरी ना वेस्ट हो !
जो कुछ लिखूँ, सदियों तक कॉपी पेस्ट हो !! AATA MAJHI SATKALI
सारा मोहल्ला खुशियों से रंगीन किया !!
:
स्कूल में मेरी, होती थी अक्सर पिटायी !
मैं 2G था, और मैडम थी Wi-Fi !!
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उस पर मेरा, सॉफ्टवेयर बडा पुराना था !
ट्यूब लाईट था मैं, जब CFL का जमाना था !!
:
गणित में तो, मैं बचपन से ही फ़्लॉप था !
भेजे का पासवर्ड, बड़े दिनों तक लॉक था !!
:
जब जब स्कूल जाने में, मैं लेट हुआ !
प्रिंसपल की डाँट से, सॉफ़्टवेयर अपडेट हुआ !!
:
हाईस्कूल में, ईश्क का वायरस घुस बैठा !
भेजे में सुरक्षित, सारा डाटा ,समाप्त कर बैठा !!
:
नजरों से नजरें टकरायी, 10th क्लास में !
मैसेज आया, मेरे दिल के इनबॉक्स में !!
:
जब जब मैंने, आगे बढकर पोक किया !
धीरे से उसने, नजरें झुकाकर रोक लिया !!
:
कॉलेज में देखा किसी गैर के साथ, तो मन बैठा !
ईश्क का वायरस, एंटीवायरस बन बैठा !!
:
वो रियल थी, लेकिन फ़ेक आईडी सी लगने लगी !
बातों से अपनी, मेरे यारों को भी ठगने लगी !!
:
आयी वो वापस, दिल पे मेरे नॉक किया !
लेकिन फ़िर मैंने, खुद ही उसको ब्लॉक किया !!
:
मेरे जीवन में, अब प्यार के लिए स्पेस नहीं !
मैं 'मीत' हूँ पगली, मजनू का अवशेष नहीं !!
:
कॉलेज से निकला, दुनियादारी सीखने लगा !
बना मैं शायर, देशप्रेम पर लिखने लगा !!
:
डरता है दिल, जिंदगी मेरी ना वेस्ट हो !
जो कुछ लिखूँ, सदियों तक कॉपी पेस्ट हो !! AATA MAJHI SATKALI
परीक्षा के पेपर में आया था कि रिक्तस्थान भरो
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली ...., ...,चली।
पप्पू ने भरा- नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली धीरे-धीरे चली।
मास्टर साहब बोले- तू पगला गया है क्या ?
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जाती है।
पप्पू - देखो मास्टर साहब पहली बात यह है कि हम हिन्दू है, तो बिल्ली को हज पर क्यों भेजेँ?
भेजना ही होगा तो हरिद्वार भेजेँगे, काशी मथुरा भेजेंगे....
और वो तो आप के सम्मान के लिए
इतना चला दिया बिल्ली को...
वरना नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली तो क्या उसके बाप से भी न चला जाए
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली ...., ...,चली।
पप्पू ने भरा- नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली धीरे-धीरे चली।
मास्टर साहब बोले- तू पगला गया है क्या ?
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जाती है।
पप्पू - देखो मास्टर साहब पहली बात यह है कि हम हिन्दू है, तो बिल्ली को हज पर क्यों भेजेँ?
भेजना ही होगा तो हरिद्वार भेजेँगे, काशी मथुरा भेजेंगे....
और वो तो आप के सम्मान के लिए
इतना चला दिया बिल्ली को...
वरना नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली तो क्या उसके बाप से भी न चला जाए
Tuesday, September 29, 2015
Saturday, September 26, 2015
Friday, September 25, 2015
Thursday, September 24, 2015
Tuesday, September 22, 2015
Monday, September 21, 2015
Sunday, September 20, 2015
#तुझे #जीना #सिखा रही थी.....
#हद-ए-शहर से #निकली तो गाँव #गाँव चली,
कुछ #यादें मेरे #संग पांव पांव चली।
#सफ़र जो #धूप का किया तो #तजुर्बा हुआ,
#वो #जिंदगी ही क्या जो #छाँव छाँव चली।
#कल एक #झलक #ज़िंदगी को #देखा,
वो #राहों पे मेरी #गुनगुना रही थी,
फिर #ढूँढा उसे #इधर उधर
वो #आँख #मिचौली कर #मुस्कुरा रही थी,
एक #अरसे के #बाद आया मुझे #क़रार, वो #सहला के #मुझे #सुला रही थी
हम #दोनों क्यूँ #ख़फ़ा हैं एक दूसरे से
मैं उसे और वो मुझे #समझा रही थी,
#मैंने पूछ लिया- क्यों #इतना #दर्द दिया #कमबख़्त तूने,
वो #हँसी और #बोली-
मैं ज़िंदगी हूँ पगली
तुझे जीना सिखा रही थी।
कुछ #यादें मेरे #संग पांव पांव चली।
#सफ़र जो #धूप का किया तो #तजुर्बा हुआ,
#वो #जिंदगी ही क्या जो #छाँव छाँव चली।
#कल एक #झलक #ज़िंदगी को #देखा,
वो #राहों पे मेरी #गुनगुना रही थी,
फिर #ढूँढा उसे #इधर उधर
वो #आँख #मिचौली कर #मुस्कुरा रही थी,
एक #अरसे के #बाद आया मुझे #क़रार, वो #सहला के #मुझे #सुला रही थी
हम #दोनों क्यूँ #ख़फ़ा हैं एक दूसरे से
मैं उसे और वो मुझे #समझा रही थी,
#मैंने पूछ लिया- क्यों #इतना #दर्द दिया #कमबख़्त तूने,
वो #हँसी और #बोली-
मैं ज़िंदगी हूँ पगली
तुझे जीना सिखा रही थी।
Saturday, September 19, 2015
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