Thursday, September 17, 2015

#काश #लौट आये #बचपन...................

#काश लौट आये #बचपन का साज़ो #सामान अपना
#जंहा रहता तक नही था #ध्यान अपना 
#खेल में #गुज़र जाता था #दिन #सारा 
हर #रात देखते थे कोई #हसीन #सपना

आज भी तड़प उठता है दिल उन हसींन लम्हों के लिए पर ये काश ये वक़्त मेरी सोच पर एक सवाल और एक विराम लगा देते हैं।

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