Dil Ki Baat
Friday, October 23, 2015
न जाने क्या ये पाना चाहता है...
ये दिल सब कुछ गवाना चाहता है,
न जाने क्या ये पाना चाहता है...।
वो आंसू तो बहाना चाहता है,
मगर कोई बहाना चाहता है...।
क़फ़स हो या हो कोई आशियाना,
परिंदा तो ठिकाना चाहता है...।
मुसलसल उम्र भर खामोश रहके,
वो आखिर क्या बताना चाहता है...।
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