Dil Ki Baat
Saturday, November 28, 2015
मेरे ख़ामोश लफ़्ज़.....
तुम अगर सुन पाते
मेरे ख़ामोश लफ़्ज़ों को
मुहबत में फिर यूँ
तड़पने की ज़रूरतें ही न होती कभी !
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