दुशमन से दिल जोड़ लिया क्या।
हम से रिशता तोड़ लिया क्या।।
फिर मेरे कांधे पे सर है
फिर उसने मुह मोड़ लिया क्या
सुर्ख़ गुलाबी आंखें क्यों हैं
पत्थर से सर फोड़ लिया क्या
शाख अकेली है गमले में
फूल किसी ने तोड़ लिया क्या
रोज़ाना जिसको पढ़ते थे
उसी वरक़ को मोड़ लिया क्या
असद बहुत दिन बाद हंसे हो
टूटा दिल फिर जोड़ लिया क्या
हम से रिशता तोड़ लिया क्या।।
फिर मेरे कांधे पे सर है
फिर उसने मुह मोड़ लिया क्या
सुर्ख़ गुलाबी आंखें क्यों हैं
पत्थर से सर फोड़ लिया क्या
शाख अकेली है गमले में
फूल किसी ने तोड़ लिया क्या
रोज़ाना जिसको पढ़ते थे
उसी वरक़ को मोड़ लिया क्या
असद बहुत दिन बाद हंसे हो
टूटा दिल फिर जोड़ लिया क्या
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