Sunday, April 3, 2016

तुझे ............कर मज़ा ले ही लिया जाए

ज़िंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाये,
शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जाए।
जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ए जिंदगी...
तो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर मज़ा ले ही लिया जाए!

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