Friday, April 22, 2016

अगर मुझ को तेरी फिकर न होती


खुश रहने की खुशफैमी, यूँ बेअसर न होती
काश की ये मोहब्बत मुझे इस कदर न होती।
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जिंदगी से बेखबर, मैं इसी सोच में रहता हूँ
काश मुझे यूँ पल पल, तेरी खबर न होती।
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साँसें रूख्सत करने को बेताब हैं ये जान मेरी
मजबूर हूँ, अगर मुझ को तेरी फिकर न होती।
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कहानी समझ उन किस्सो को मै भी भूल जाता
जो मुझे भी उन एहसासों कि, कदर न होती।


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