रास्ते जो भी चमकदार नज़र आते हैं
सब तेरी ओढ़नी के तार नज़र आते हैं
कोई पागल ही मुहब्बत से नवाज़ेगा मुझे
आप तो ख़ैर समझदार नज़र आते हैं
मैं कहां जाऊं, करूं किस से शिकायत उसकी
हर तरफ़ उसके तरफ़दार नज़र आते हैं
ज़ख़्म भरने लगे हैं पिछली मुलाक़ातों के
फिर मुलाक़ात के आसार नज़र आते हैं
एक ही बार नज़र पड़ती है उन पर
और फिर वो ही लगातार नज़र आते हैं
😢😢😢😢😢😢😢😢
Sneha sharma
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