Sunday, June 5, 2016

तुझ बिन जिन्दगी ये..!!



क्यों सताते हो मुझे यूँ दुरियाँ बढ़ाकर.....

क्या तुम्हे मालूम नहीं अधूरी हो जाती है

तुझ बिन जिन्दगी ये..!!


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