Monday, August 15, 2016

जय हिंद जय भारत



तसव्वुर में सही लेकिन मैं गुलदस्ता बनाता हूँ...,
सज़ाएँ दीजिए मैं आपका चेहरा बनाता हूँ ...!
मेरी तामीर के क़िस्से कहीं लिक्खे ना जाएंगे,
मैं जंगल से गुज़रने के लिए रस्ता बनाता हूँ !
ना जन्नत मैंने देखी है ना जन्नत की तवक़्क़ो है
मगर मैं ख़्वाब में इस मुल्क का नक़्शा बनाता हूँ...
मुझे अपनी वफ़ादारी पे कोई शक नहीं होता ..
मैं खून-ए-दिल मिला देता हूँ जब झंडा बनाता हूँ ।

आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामना
जय हिंद जय भारत
वंदे मातरम













No comments: