Sunday, August 28, 2016

दिन दहाड़े इंसानियत का कत्ल....



#हैरी_ठाकुर।।।

"आज मुझे पता चल गया पापा, कि सब झूठ कहते है",

एक राेती हुई बेटी ने, अपनी मरी हुई माँ काे काँधे पर ले जाते अपने पिता से कहा। बाप की साँसे तेज थी, हाेती भी क्यू ना। एक आेर ताे जनम जनम साथ निभाने वाली जीवन साथी उसे टी वी की बिमारी के चलते छाेड कर जा चुकी थी, उसकी यादे बार - बार आँखाें के सामने आ कर उसकी अाँखाे में आँसुओं का सैलाब जाे ला रही थी, ताे वही दूसरी आेर गरीबी की मार से कमजोर हुआ शरीर था जाे चलते चलते थकान से जवाब दे रहा था।

तेज साँसें लेते, एक हाथ से काँधे पर पत्नी के शव काे पकड़ कर एक हाथ से आसुआें काे पाैंछते बाप ने अपनी बेटी से बड़ी हिम्मत कर पूछा, "क्या गलत कहते है सब बेटी?????
राेती हुई बेटी पिता के दर्द काे महसूस कर बाेली "पापा मैं मदद करूँ आपकी??? बेटी के यह बाेल सुन बाप राे पड़ा आैर बाेला "नही बेटी ये मेरी पत्नी है इसकी ताे मैं अंत समय तक जिम्मेदारी उठा सकता हूँ आैर उठाऊगाँ, ये मेरे भराेसे अपना घर ससांर छाेड कर आई थी, इसलिए अंत समय तक ये मेरी जिम्मेदारी है, तू यह बता क्या गलत कहते है सब", पिता की यह बात सुन राेती हुई बेटी ने कहा "यही पापा के पैसा बड़ी चीज है पर इंसानियत से बड़ा नही है गलत कहते है पापा सब झूठी बाते है, आज देशभक्ति, इंसानियत, मानवतावादी बाते, दूसराे की मदद करने के विचार बस कहने मात्र ही रह गए है, पर पूजा ताे पैसा ही जाता है, बस पैसा है ताे सब पूछते है वरना इंसानियत खड़ी गरीबी आैर लाचारी का तमाशा बनता देखती है पापा, जान गई मैं आज"। बेटी की बात सुन पिता चुप रह चलता रहा कुछ ना बाेला आैर कहता भी क्या,
बेटी की बात सुन उसके सामने वह मंजर जाे आगया था जब डाक्टराें ने पैसे ना हाेने की वजह से एम्बुलेंस की सुविधा ना दी थी। बेटी की बाताे काे सुन एक पिता काे अपनी लाचारी से बहुत घृणा हुई, जिससे की पिता की आँखे भर आँई। आँसुओं की वजह से पिता की आँखाें के अागे का दृश्य धुंधला हाे गया। जिससे की रास्ते में पडा पत्थर पिता काे ना दिखा आैर वह उसके पाँव में आ लगा, ठाेकर खा लडखडा कर एक पिता, एक पती घुटनाे के बल गिर पड़ा।

पाँव में चाेट आ गई थी पर पत्नी काे उसने गिरने ना दिया। पत्नी काे गाेद में ले वह आदमी बेठ गया।
ये घड़ी उसके लिए माैत से भी बदतर थी, एक तरफ दर्द से दुखता पाँव था ताे एक तरफ गरीबी की मार से आई कमजोरी से चढ़ती साँसें। एक तरफ गाेद में वह जीवन सघंनी मृत पडी जिसने उसके साथ जीने मरने की कसमें खाई थी, ताे दूसरी तरफ थी एक तेरह साल की बिन माँ की बेटी जिसकी राेती आँखें पूछ रही थी की पापा हमें भगवान् ने गरीब क्यू बनाया, क्यू गरीबो की लाेगाे की तरहा भगवान् भी नही सुनता। एक तरफ थी लाेगाे की नजरे जाे उसकी आेर घूर उसकी लाचारी का मजाक उड़ा रही थी ताे दूसरी आेर था उसका इंसानियत नाम के शब्द से उठा विश्वास जाे की उन लाेगाे काे देख उठा था जाे उसकी सहायता करने में समर्थ हाेने पर भी उसकी सहायता ना कर दर्शक बने पडे थे।
आदमी अंदर ही अंदर टूट चुका था पर दुपट्टे के पल्लू से आँखे पाैंछती बेटी आैर गाेद में माैत की नींद साेई पत्नी काे देख वह हिम्मत कर फिर उठा आैर चल दिया कई किलाेमीटर लम्बे रास्ते पर पत्नी काे काँधे ले कर। आैर करता भी क्या इंसानियत की माैत के मातम में बेठने से अच्छा उसने एक एक कदम अपने बल पर अपनी पत्नी काे मुक्ती धाम पहुंचाना उचित समझा।

वह चलता रहा लाेग देखते रहे काेई बीच में ना आया, आता भी क्यू वाे भला काेई फिल्म स्टार, क्रिकेटर, या बड़ा नेता थाेडी था जिसके लिए वह बिना मांगे सहायता काे भागते, वह ताे साधारण सा आदमी था उसकी सहायता से क्या फायदा।
जान चुका था वह आदमी के इंसानियत नाम का शब्द अब कहानियाें में ही जचता है।।।

असल जिंदगी में ताे हर जगाह बस गरीब ही पिसता आैर गरीब ही मरता है।।।

#हैरी_ठाकुर।।।।


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