Sunday, October 2, 2016

तू किस लिए हताश है



तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है

तू चल

तेरे वजूद की

खुद समय को भी तलाश है

जो तुझ से लिपटी बेड़ीयां

समझ ना इनको वस्त्र तू

ये बेड़ीयां पिंघाल के

बना ले इनको अश्त्र तू

तू खुद की खोज में निकल

तू किस लिए हताश है




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