Thursday, October 13, 2016

तुझ सा क्यों कोई



हर रोज मिलती हूँ लाखों चेहरो से
पर तुझ सा क्यों कोई इन आंखों को नही मिलता,,,,

आज रोना चाहता है दिल जी भरकर
पर मुझ जैसी बदनसीब को तेरा कंधा नही मिलता,,,

जुस्तजू इस तन्हा दिल को फक्त तेरी है
हर कोई तो मिलता है पर तू ही नही मिलता,,,

सोचा आज सो जाऊं किसी कब्र में कफन ओङकर
पर जिंदा लाश को कोई कब्रिस्तान नही मिलता,,,

💖💖💖💖💖💖💖Raहुल💘💘💘💘💘



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