Thursday, August 30, 2018

मेरा सफर कट गया .....



कुछ इस तरह मेरा सफर कट गया
पूरा चला था मैं , टुकड़ों में बँट गया।

पूरा गाँव घर था,फिर घर मकां हुआ
दीवारों में हो कैद,कमरों में सिमट गया।

जैसे बेकरारी हो फरिश्ते को छूने की
इस कदर माँ की बाँहों में लिपट गया।

उनकी अना का साथ इस तरह दिया
वो जब तेज चले ,मैं रस्तों से हट गया।

जुड़ा उनसे उनकी शर्तों पे इस तरह
पूरा मिला उनको,मैं किस्तों में घट गया।



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