Friday, September 7, 2018

ऐसे ही मर जाएँगे.....



आँखों में तो रोक लूँगा ,नज़रों से बह जाएँगे
मेरे अश्कों की जिद है ,आज़ कुछ कह जाएँगे।

सुबह की ताज़गी दबी बासी दिन के बोझ से
पिछले दिन की तरह हम आज भी टल जाएँगे।

एहतियातन दरमियाँ जो थोड़ी सी दूरी न हो
आग पानी की तरह इक दूजे को खल जाएँगे।

बाँहें तो फैलाए कोई साँझ के आसमाँ की तरह
थके माँदे सूरज की तरह हम भी ढल जाएँगे।

ऐ मौत तुझको जीते हैं कतरा कतरा हर दिन
आने की ज़हमत न करना,ऐसे ही मर जाएँगे।

#s

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