Monday, October 22, 2018

ग़म ही ग़म मिलते हैं...,


“हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म ही ग़म मिलते हैं...,

हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते हैं।”


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