वो शक़्स मुझे अपने क़रीब लगता है
खुद से करूँ जुदा तो अजीब लगता है
ये बेक़रारी, ये बेचैनी, ये कशिश कैसी
उसका मिलना मुझे अपना नसीब लगता है
कभी मीठी सी बाते, कभी हर बात पे झगड़े
ये याराना बड़ा दिलचस्प बे-तरतीब लगता है
उसके होने से सज जाती थी महफ़िले
उसके बग़ैर ये शहर बड़ा गरीब लगता है
.
S💘R
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