Dil Ki Baat
Tuesday, October 22, 2019
ना जाने कब.....
“हम तो उन्हीं के थे...उन्हीं के रहे,
वो ना जाने कब ग़ैरों के होना सीख गए।
हम हर एक लम्हाँ ईंतज़ार में थे,(बड़े वाले बेवकूफ़ जो थे)
और वो ना जाने कब रास्ते बदलकर ग़ैरों से मिलना सीख गए।”
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