सिर्फ पागलपन ही दिखता है ना मेरा?
“सिर्फ पागलपन ही दिखता है ना मेरा?
पर उसके छीपे मेरे प्यार का क्या?
एक आवारा जो चले लगा था संभलकर,
मेरा टूटा हुआ कोना जो तेरे आने से हुआ था घर।
मेरी उस दुनिया-संसार का क्या?
जिसकी दवा ही हो सिर्फ साथ तुम्हारा,
उस बिचारे बिमार का क्या?”
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