Friday, December 26, 2014

एक दिन मेरी जिंदगी में वो भी मंज़र आयेगा................

एक दिन मेरी जिंदगी में वो भी मंज़र आयेगा,
जब मेरे जिस्म को जी भर के सजाया जाएगा ।
करके बे-पर्दा मुझे मिल के नहलाएंगे मेरे अपने,
मैं सब देखूंगा पर कोई मुझे देख नहीं पाएगा ।
औढ़ा कर मुझे बिन सिले कपड़ों का सादा लिबास,
नुमाईश की तरह मेरा चेहरा सबको दिखाया जाएगा ।
वो जो दूर से देखकर ही मुँह फेर लेते थे कभी,
आज कफन हटते ही चेहरा वो भी देख जाएगा ।
वो जिसने ताउम्र नाम ही नहीं लिया राम का,
आज वो भी राम नाम सत्य की रट लगाएगा ।
वो जो खाते थे कसमें उम्र भर साथ निभाने की,
छोड़ कर वो अकेला मुझे अपने घर लौट आयेगा ।
चार कदम साथ चलेंगे कुछ रोते कुछ हसते हुए,
चल दूंगा अकेला कोई भी मुझे रोक नहीं पाएगा ।
बहुत ही रोएगा वो जिसमे मेरा ही खून होगा,
उसके ही हाथों से मेरे जिस्म को जलाया जाएगा ।
बस इतना ही साथ है कभी मत भूलना,
यह चलता हुआ श्वास इक दिन दगा दे ही जाएगा ।
मेरा था, ना मेरा है, ना कुछ भी साथ लाया था,
देह में छुपा हुआ जीव जब, देह को छोड़ जाएगा....!!!!

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