गगन में चंद्रमा है , चांदनी फैली चारों ओर ।
आधी रात में आई मेरे प्यारे घर की याद ।
रात भर सुनाई दी तोपों की आवाज ,
हर जगह धधकती धुआं अग्नि ।
दुश्मन के पंजों से भाग निकला ,
भटता फिरता दूर दराज समुद्र पारी ।
घर में वृद्ध वृद्धा तड़पती मेरी मां ,
दूर प्रदेश चले पुत्र की स्मृति सताई ।
गंगन में चमकता ठंडा चांद है ,
रात गहरी , घर की याद आई ।
आधी रात में आई मेरे प्यारे घर की याद ।
रात भर सुनाई दी तोपों की आवाज ,
हर जगह धधकती धुआं अग्नि ।
दुश्मन के पंजों से भाग निकला ,
भटता फिरता दूर दराज समुद्र पारी ।
घर में वृद्ध वृद्धा तड़पती मेरी मां ,
दूर प्रदेश चले पुत्र की स्मृति सताई ।
गंगन में चमकता ठंडा चांद है ,
रात गहरी , घर की याद आई ।
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