Wednesday, January 28, 2015

घर की याद आई................

गगन में चंद्रमा है , चांदनी फैली चारों ओर ।

आधी रात में आई मेरे प्यारे घर की याद ।

रात भर सुनाई दी तोपों की आवाज ,

हर जगह धधकती धुआं अग्नि ।

दुश्मन के पंजों से भाग निकला ,

भटता फिरता दूर दराज समुद्र पारी ।

घर में वृद्ध वृद्धा तड़पती मेरी मां ,

दूर प्रदेश चले पुत्र की स्मृति सताई ।

गंगन में चमकता ठंडा चांद है ,

रात गहरी , घर की याद आई ।

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