Thursday, February 11, 2016

दुरियाँ बढ़ाकर...

क्यों सताते हो मुझे यूँ दुरियाँ बढ़ाकर...
क्या तुम्हे मालूम नहीं अधूरी हो जाती है तुझ बिन जिंदगी...

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