28-32 की उम्र के कुवारों लौंडो का जीवन भी अथाह झंड होता है। शादी हो नही रही होती, गर्लफ्रेंड मिलने की उम्मीद ना से भी कम होती है अौर अगर गर्लफ्रेंड हो तो निश्चित ही उसके घरवाले लौंडे की खाल मे मसाला भरने की ताड में होते हैं, किसी कालेज वाली लडकी तो देखें तो दुनिया इन्हें दरिंदा बुलाती है, अौर शादी शुदा को ताडें तो ये हवसी। ऊपर से बच्चे भैया की जगह अंकल बुलाने लग गये होते हैं।
28 से पहले उम्मीद है, 32 के बाद हिमालय अौर इनके बीच मे है जीवन का संघर्ष
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