Tuesday, August 28, 2018

आज कल


कोई मुझसे रहता खफा आज कल
जिये या मरे रहती जफा आज कल

तस्सवुर में तेरे हो जाती सहर
आँखोसे निंद रहती जुदा आज कल

समझाये भला अब कितनी दफा ए दिल
नहीं करता यहाँ कोइ वफा आज कल

मसरुफीयत जिंदगी है यहा सब की यारो
नही बँधता महफील-ए-समाँ आज कल

ना करो बात इश्क मोहब्बत की साहील
दिल टुटता बनी ये एसी जफा आज कल

#s


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