Wednesday, January 29, 2020
Friday, January 10, 2020
Tuesday, January 7, 2020
Monday, January 6, 2020
Sunday, January 5, 2020
...दरमियाँ बस यही बाक़ी है
“एक 'जीस्त' गुज़र गई है...ताल्लुक टूटे,
हम लिखते है...वो पढ़ते है...दरमियाँ बस यही बाक़ी है।”
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Friday, January 3, 2020
हां ये सच है....
हां ये सच है
मैंने रात को तुम्हारे मैसेज यां फ़ोन का इंतज़ार किया था ।
और इंतज़ार करते करते कब नींद ने घेर लिया पता ही नहीं चला,
और जब आंख खुली तो शुरू हो चुका था नए साल का
नया दिन नयी उम्मीदें लिए,
पर मेरी उम्मीद अभी भी पुरानी है ।।
उम्मीद तुम्हारे लौट कर आने की,
हां मैं ये जनता हूं ये इंतज़ार अंतहीन है।
पर
इस नए साल भी मैं तुम्हारे वही पुराने किस्से लिखता रहूंगा,
हां नाम तुम्हारा कभी ना लिखूंगा,
बस्स लिखूंगा तुम्हारे बारे में,
उम्मीद करता हूं कुछ और अच्छे से लिख सकूं,
और लोग यूं ही तुम्हे पड़ते रहें फिर पूछें मुझसे तुम्हारे बारे में
और मैं तुम्हे याद कर ख़ामोश हो जाऊंगा फ़िर यूं 'हल्का सा मुस्कुरा ' दूंगा !!
---❣️
Thursday, January 2, 2020
कुछ खास तो नहीं...
कुछ खास तो नहीं...
पर मेरे पास भी हैं
चंद बेशकीमती दौलतें
कुछ तुम्हारी यादें और
कुछ अधूरी हसरतें..
उनमें शामिल हैं मेरी नासमझियाँ
और तुम्हारी समझदारी भरी बातें
कभी ख्वाबों की
कभी हकीकत की
वो तमाम मुलाकातें
सहेज के रखी है मैंने
ये तमाम सौगातें
सहेजी हैं
जनमों की बेचैनियाँ.....!!
Wednesday, January 1, 2020
बिछड़े वो...
“जो उन्नीस में बिछड़े वो क्या बीस में मिलेंगे...,
या उन्नीस बीस का फ़ासला तमाम उम्र रहेगा?”
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