Monday, February 23, 2015

जिन्दगी की कश्मकश मे क्यु ना थोड़ा जिया जाए

जिन्दगी की कश्मकश मे क्यु ना थोड़ा जिया जाए
दुख की इन कम्बलो को, मिलके आज सीया जाए।
टुटे हुए रिश्तो पे क्यु ना थोड़ा रोया जाए
प्यार का एक बिज उनमे, मिल के आज बोया जाए।
बचपन की उन यादों मे क्यु ना थोड़ा खोया जाए
आखोसे छलकते आसुओं को, बारिश मे आज भिगोया जाए।
अपनेपन के जाल में क्यु ना दुश्मनो को फसाया जाए
पुरानी नफरते भुलाकर, उनको भी आज हसाया जाए।
पचतावे की आग मे क्यु ना थोड़ा नहाया जाए
अहंकार और घमंड को, मिलके आज बहाया जाए।
एक कतरा जिंदगी का क्यु ना थोड़ा पिया जाए
जिंदगी की कश्मकश मे, मीलके आज जिया जाए।

इक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊंगा....

अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊंगा,
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊंगा |
तुम गिराने में लगे थे, तुम ने सोचा भी नहीं,
मैं गिरा तो मसअला बनकर खड़ा हो जाऊंगा |
मुझ को चलने दो अकेला, है अभी मेरा सफ़र,
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊंगा |
सारी दुनिया की नज़र में है मेरा अहद-ए-वफ़ा,
इक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊंगा |

मैं इसलिए औरों की.. बुराई पे नही लिखता...

उनको ये शिकायत है.. मैं बेवफ़ाई पे नही लिखता,
और मैं सोचता हूँ कि मैं उनकी रुसवाई पे नही लिखता.'
'ख़ुद अपने से ज़्यादा बुरा, ज़माने में कौन है ??
मैं इसलिए औरों की.. बुराई पे नही लिखता.'

'कुछ तो आदत से मज़बूर हैं और कुछ फ़ितरतों की पसंद है ,
ज़ख़्म कितने भी गहरे हों?? मैं उनकी दुहाई पे नही लिखता.'
'दुनिया का क्या है हर हाल में, इल्ज़ाम लगाती है,
वरना क्या बात?? कि मैं कुछ अपनी.. सफ़ाई पे नही लिखता.'
'शान-ए-अमीरी पे करू कुछ अर्ज़.. मगर एक रुकावट है,
मेरे उसूल, मैं गुनाहों की.. कमाई पे नही लिखता.'
'उसकी ताक़त का नशा.. "मंत्र और कलमे" में बराबर है !!
मेरे दोस्तों!! मैं मज़हब की, लड़ाई पे नही लिखता.'
'समंदर को परखने का मेरा, नज़रिया ही अलग है यारों!!
मिज़ाज़ों पे लिखता हूँ मैं उसकी.. गहराई पे नही लिखता.'
'पराए दर्द को , मैं ग़ज़लों में महसूस करता हूँ ,
ये सच है मैं शज़र से फल की, जुदाई पे नही लिखता.'
'तजुर्बा तेरी मोहब्बत का'.. ना लिखने की वजह बस ये!!
क़ि 'शायर' इश्क़ में ख़ुद अपनी, तबाही पे नही लिखता...!!!"

Sunday, February 22, 2015

पर प्यार नहीं तुम से..

अंदाज़ देखो उसका दिल तोड़ने का,
रुख़्सार पर हाथ रख कर कहा उसने,
तुम प्यारे बहुत हो, पर प्यार नहीं तुम से..

ज़िन्दगी को ढूढ़ने......

उम्र भर चलते रहे आँखों पे पट्रटी बाँघकर
ज़िन्दगी को ढूढ़ने में ज़िन्दगी बरबाद की....R

Monday, February 16, 2015

तू कितना अपना है

ना जाने क्या कशिश है तेरे ख्यालों में , 
.
.
तू गैर हो के
.
.
.
भी कितना अपना है

उसका प्यार अब तक मुरझाया नही....

मेरी किताबों में रखा गुलाब..वो ..चुपके-चुपके रोज़ बदल देता था......
और में पगली समझती थी उसका प्यार अब तक मुरझाया नही....

Meri Kahani Likhna...


Mere Marnay K Baad Meri Kahani Likhna...
Kaise Barbaad Hui
Meri Jawaani Likhna...

<3 <3 <3 <3 <3 <3 
Or Likhna K Mere
Hont Khushi Ko
Tarsay...
Kaise Barsaa Meri
Aankhon Se Paani
Likhna...

Or Likhna K Usay
Intzaar To Buhat
Thaa Tera...
Aakhri Sanson Mein Wo Hichkiyon Ki Rawaani Likhna...

Likhna K Martay
Waqat Bhi Deta Tha "DUA" TuJh Ko.,
Haath Bahir Thy
Qafan Se Ye Nishaani Likhna......

जीने में बनावट सी नज़र आती है.

बातों में बनावट सी नज़र आती है
मतलब की मिलावट सी नज़र आती है
फिर देखे मिरा रक़ीब तिरछी नज़र से
आँखों में लगावट सी नज़र आती है
जाने किस ज़माने का ख़त निकाला है
अपनी ही लिखावट सी नज़र आती है
कोई मान ले शायद रौब पैसे का
पारटियां भी दिखावट सी नज़र आती है
निकला देर का है घर से परिन्दा वो
कदमों में थकावट सी नज़र आती है
मुराद हो गई पूरी आज शायद
चौखट पे सजावट सी नज़र आती है
कैसे कट रहा है' वक़्त ना पूछो
जीने में बनावट सी नज़र आती है.

Sunday, February 8, 2015

Koi teri khaatir hai jee raha..

Baatein yeh kabhi na tu bhoolna 
Koi teri khaatir hai jee raha
Jaaye tu kahin bhi ye sochna 

Koi teri khaatir hai jee raha..

Na koi mausam tumse accha O.. na koi manzar tumse accha Haan rehna hai sang re..

O tum bin main dekho toh
Kya se kya ho baitha
Tum ko jo khoya toh, khudko bhi kho baitha
Mujhko jo dhoonde, khudko main paa lunga
Main tere badle mein jannat bhi na lunga
Tum todo na dil mera...

Sapno ke bin aankhon ki jaise keemat koi na
Waise hoon main tere bin, meri chahat koi na
Dardon ke ek kehna hai
Saansein jisko kehta hoon
Teri soorat marham hai
Dooji raahat koi na........

Thursday, February 5, 2015

Dedicated to all the "गली के टपोरी's"


शक्ल सुरत देखी नही
ना देखा कभी आईना
जब भी गली से गुजरता है
कहता है मै हु ना। 
ना भाव देती है चंद्रमुखी 
ना घास डालती है पारो
फीर भी style मे कहता है
जानम समझा करो। 
सडकछाप jeans पहनके
मुँह मे चबाता है chewing gum
हरकते है टपोरी जैसी
पर खुदको समझता है सिंघम। 
आँख मारके बोलता है
रानी कुछ कुछ होता है
भैया से मार पडी तो
पैर पकड़ के रोता है। 
हवा मे उडाके Bike
कहता है धूम मचाले
अरे आवारा लड़के
पहले फुटी कौडी कमाले।
वाह रे गली के आंशिक
तुझे तो इसीमे मजा है
पर तेरी गंदी हरकते
हर लड़की के लिए सजा है। 
लड़की पर गंदी बाते
ये मस्ती नही होती
कीसी भी लड़की की ईज्जत
इतनी सस्ती नही होती। 
एक बार सोचके देख
बदल के देख ये रवैया
कीसी छोटीसी बहन का तो
तु भी होगा भैया। 
अब तक चाहे गलत था
अब तो कुछ सीखले
मुश्किल नही है कुछ भी
खुद को बदल के देखले।
औरत की इज्जत करके देख
तुझे इज्जत मील जाएगी
जन्नत जानेकी सीडी
तेरे सामने खुल जाएगी। 

Tuesday, February 3, 2015

बहुत कुछ बदला हैं...................

बहुत कुछ बदला हैं मैने अपने आप में,लेकिन...!तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदतअब तक नहीं बदली !!

अजीब सा मोड़ है ज़िन्दगी का

अजीब सा मोड़ है ज़िन्दगी का , मुशिकलों की ज़मीन आफतों का आसमान है ।
............................................तू जो नही है साथ मेरे इस राह मैं तो यही जमीन मेरा समशान है