Tuesday, March 24, 2015

तू है किसी और की ।।

अपनी हथेली पे मेरा नाम लिखा करती थी
वो तुम ही थी
जो प्यार का पैगाम लिखा करती थी।
प्यार के नशे में
हम भी झूम लिया करते थे
तेरी हथेली को
अक्सर चूम लिया करते थे।
अब उसी हथेली में
मेंहदी है किसी और की
हम आज भी तेरे हैं
मगर तू है किसी और की ।।

Fun Time...

बॉय - I love you..
,
,
गर्ल - तुम पागल हो क्या .... .
,
मैं शादी शुदा हूँ...मेरा पति है,
,
,
और एक boyfriend भी है ऑफिस मे,
,
,
,
और मेरा ex - boyfriend मेरे पड़ोस मे रहता है ,
,
,
,
,
औरकल ही मेरे boss ने प्रपोज किया है
,
,
और
,
,
,
मै उन्हे मना नही कर सकती...
,
,
,
,
,
और वैसे भी मेरा एक school friend के साथ
सीरियस मैटर है......
,
,
.बॉय - (काफ़ी देर देखने के बाद ) .!
.
.
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,
,
,
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देख ले कहीं adjust होता हो तो••••••••••••••••••••••

Halaat Keh Rahy H

Halaat Keh Rahy Hen Wo ab Nahi Yaad Kary Gaa...
Umeed keh Rahi Hai Bass THora aur Intezaar...

vo shaks..........

chhodd toh sakta hun magar chhodd nahi paata usse
vo shaks meri bigadi hui aadat ki tarah hai

milo kisi roj ..

milo kisi roj .. toh puche tumse .. vo ishq 
aajkal kis se karte ho jo .. humse seekha tha !!

Dil ki khamoshi

Dil ki khamoshi se sanso ke theher janay tak...

Yaad aega mujhe wo shakhs mere mar janay tak.....

itni mohabbat hai..............

Es nazuk se dil main kisi k liy itni mohabbat hai,
har rat jb tak ankh bheeg na jay neend nai aati.

Saturday, March 14, 2015

पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट...

एक दिन दफ्तर से घर आते हुए पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट हो गयी;
और जो बीवी से मिलने की जल्दी थी वह ज़रा से लेट हो गयी;
जाते ही बीवी ने आँखे दिखाई -आदतानुसार हम पर चिल्लाई;
तुम क्या समझते हो मुझे नहीं है किसी बात का इल्म;
जरुर देख रहे होगे तुम सक्रेटरी के साथ कोई फिल्म;
मैंने कहा - अरी पगली, घर आते हे ऐसे झिडकियां मत दिया कर;
कभी तो छोड़ दे, मुझ बेचारे पर इस तरह शक मत किया कर;
पत्नी फिर तेज होकर बोली - मुझे बेवकूफ बना रहे हो;
6 बजे दफ्तर बंद होता है और तुम 10 बजे आ रहे हो;
मैंने कहा अब छोड़ यह धुन - मेरी बात ज़रा ध्यान से सुन;
एक आदमी का एक हज़ार का नोट खो गया था;
और वह उसे ढूंढने के जिद्द पर अड़ा था;
पत्नी बोली, तो तुम उसकी मदद कर रहे थे;
मैंने कहा , नहीं रे पगली मै ही तो उस पर खड़ा था;
सुनते ही पत्नी हो गयी लोट-पोट;
और बोली कहाँ है वह हज़ार का नोट;
मैंने कहा बाकी तो खर्च हो गया यह लो सौ रुपये;
वह बोली क्या सब खा गए बाकी के 900 कहाँ गए;
मैंने कहा : असल में जब उस नोट के ऊपर मै खडा था;
तो एक लडकी की निगाह में उसी वक़्त मेरा पैर पडा था;
कही वह कुछ बक ना दे इसलिए वह लडकी मनानी पडी;
उसे उसी के पसंद के पिक्चर हाल में फिल्म दिखानी पडी;
फिर उसे एक बढ़िया से रेस्टोरेन्ट में खाना खिलाना पड़ा;
और फिर उसे अपनी बाइक से घर भी छोड़कर आना पड़ा;
तब कहीं जाकर तुम्हारे लिए सौ रुपये बचा पाया हूँ;
यूँ समझो जानू तुम्हारे लिए पानी पुरी का इंतजाम कर लाया हूँ;
अब तो बीवी रजामंद थी - क्यूंकि पानी पुरी उसे बेहद पसंद थी;
तुरंत मुस्कुराकर बोली : मै भी कितनी पागल हूँ इतनी देर से ऐसे ही बक बक किये जा रही थी;
सच में आप मेरा कितना ख़याल रखते है और मै हूँ कि आप पर शक किये जा रही थी

||| उबलते पानी मे मेंढक ||||

अगर मेंढक को गर्मा गर्म उबलते पानी में डाल दें तो वो छलांग लगा कर बाहर आ जाएगा और उसी मेंढक को अगर सामान्य तापमान पर पानी से भरे बर्तन में रख दें और पानी धीरे धीरे गरम करने लगें तो क्या होगा ?
मेंढक फौरन मर जाएगा ?
जी नहीं....
ऐसा बहुत देर के बाद होगा...
दरअसल होता ये है कि जैसे जैसे पानी का तापमान बढता है, मेढक उस तापमान के हिसाब से अपने शरीर को Adjust करने लगता है।
पानी का तापमान, खौलने लायक पहुंचने तक, वो ऐसा ही करता रहता है।अपनी पूरी उर्जा वो पानी के तापमान से तालमेल बनाने में खर्च करता रहता है।लेकिन जब पानी खौलने को होता है और वो अपने Boiling Point तक पहुंच जाता है, तब मेढक अपने शरीर को उसके अनुसार समायोजित नहीं कर पाता है, और अब वो पानी से बाहर आने के लिए, छलांग लगाने की कोशिश करता है।
लेकिन अब ये मुमकिन नहीं है। क्योंकि अपनी छलाँग लगाने की क्षमता के बावजूद , मेंढक ने अपनी सारी ऊर्जा वातावरण के साथ खुद को Adjust करने में खर्च कर दी है।
अब पानी से बाहर आने के लिए छलांग लगाने की शक्ति, उस में बची ही नहीं I वो पानी से बाहर नहीं आ पायेगा, और मारा जायेगा I
मेढक क्यों मर जाएगा ?
कौन मारता है उसको ?
पानी का तापमान ?
गरमी ?
या उसके स्वभाव से ?
मेढक को मार देती है, उसकी असमर्थता सही वक्त पर ही फैसला न लेने की अयोग्यता । यह तय करने की उसकी अक्षमता कि कब पानी से बाहर आने के लिये छलांग लगा देनी है।
इसी तरह हम भी अपने वातावरण और लोगो के साथ सामंजस्य बनाए रखने की तब तक कोशिश करते हैं, जब तक की छलांग लगा सकने कि हमारी सारी ताकत खत्म नहीं हो जाती ।
ये तय हमे ही करना होता है कि हम जल मे मरें या सही वक्त पर कूद निकलें।
(विचार करें, गलत-गलत होता है, सही-सही, गलत सहने की सामंजस्यता हमारी मौलिकता को ख़त्म कर देती है)
अन्याय करने से ज्यादा अन्याय सहने वाला दोषी होता है, उदाहरण भीष्म पितामह । 
- श्री कृष्ण
आप स्वयं विचार करें.......

"मा" तू मुझे बहुत याद आती है.....

हर लम्हा खुबुसरत ल्गता था, जब तेरा हाथ थामकर चलता था
एक गश में ही पेट भर जाता था,जब तेरे हाथ से नीवाला ख़ाता था
धूप में भी चाओं का सा मज़ा आता था, जब आचल तेरा मेरे सर पर होता था
पालक झपकते ही नींद आ जाती थी, जब लोरी तेरी सुनता था
मुस्कान चेहरे से मेरे ना जाती थी, जब हंसता हुआ तुम्हे देखता था
तुमसे दूर भी रहना पड़ा मुझे पर हर बार घर आने को तरसता था
पर आज का मंज़र बदल गया तेरे बिना उसी घर में रहना पड़ गया
अब हर लम्हा मुश्किल से कटता है क्यूंकी मेरा हाथ तेरे साथ को तरसता है
अब भूख भी नही लगती मुझको हर नीवाला मुश्किल से निगलता है
अब तो छाव भी धूप की तरह जलती है क्यूंकी तेरे आँचल की छाव मेरे सर पर नही होती है
अब तो रात रात भर जागता हूँ क्यूंकी तेरी आवाज़ में लोरी नही सुन पता हूँ
तेरी हर बात याद कर आखें नॅम हो जाती है अब तो तेरी तस्वीर भी रूलाती है
"मा" तू मुझे बहुत याद आती है..."मा" तू मुझे बहुत याद आती है...
घर की याद आती है मुझे.... घर की याद आती है मुझे !!!

Sunday, March 1, 2015

ऐ बादल.........

अब बरसना बन्द भी कर ऐ बादल.........


मैने गलती की तुझे अपने प्यार की दास्तान सुनाकर

स्वागत-ए-मार्च मे...........


रोया है फ़ुर्सत से सारी रात कोई यकीनन.......
वर्ना स्वागत-ए-मार्च मे यहाँ बरसात नहीं होती...

मुक़द्दर ,मुहब्बत और दोस्त

न जाने कैसे इम्तिहान ले रही है ज़िन्दगी आजकल,
मुक़द्दर ,मुहब्बत और दोस्त तीनों नाराज़ से रहते है________